2025 में गूगल एंटीट्रस्ट केस ने वैश्विक टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। न्यायालय ने गूगल को ऑनलाइन सर्च और डिजिटल विज्ञापन बाजार में एकाधिकार बनाए रखने का दोषी ठहराया, लेकिन कंपनी को विभाजित नहीं किया गया। इस निर्णय का प्रभाव न केवल गूगल के स्टॉक्स और कर्मचारियों पर पड़ा, बल्कि प्रतिस्पर्धियों और उपभोक्ताओं के लिए भी नए अवसर खोले। विशेषज्ञ मानते हैं कि जनरेटिव AI और क्लाउड तकनीक ने इस मामले में न्यायाधीश के निर्णय को प्रभावित किया।
Google Antitrust Case 2025
अगस्त 2024 में, अमेरिकी न्यायालय ने गूगल को ऑनलाइन सर्च और संबंधित विज्ञापन बाजारों में एकाधिकार बनाए रखने का दोषी ठहराया था। इस फैसले के बाद, मई 2025 में न्यायालय ने सजा के रूप में गूगल पर कुछ प्रतिबंध लगाए, लेकिन कंपनी को अपने प्रमुख उत्पादों, जैसे कि क्रोम ब्राउज़र और एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम, को बेचने का आदेश नहीं दिया। यह निर्णय गूगल के लिए एक बड़ी राहत साबित हुआ, जिससे कंपनी के शेयरों में 6% की वृद्धि हुई और कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई।
🧾 न्यायालय का आदेश
न्यायाधीश अमित मेहता ने गूगल को निम्नलिखित निर्देश दिए:
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डेटा साझाकरण: गूगल को अपनी सर्च इंडेक्स और उपयोगकर्ता डेटा को “योग्य प्रतिस्पर्धियों” के साथ साझा करना होगा।
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विशेष अनुबंधों पर प्रतिबंध: गूगल को अपने सर्च इंजन और अन्य उत्पादों, जैसे कि क्रोम, गूगल असिस्टेंट, और जेमिनी ऐप, के लिए विशेष अनुबंधों पर रोक लगानी होगी।
हालांकि, न्यायालय ने गूगल को अपने क्रोम ब्राउज़र और एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम को बनाए रखने की अनुमति दी, जिससे कंपनी को एक संभावित विभाजन से बचाया गया।
📊 न्यायालय के निर्णय का प्रभाव
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गूगल पर प्रभाव: न्यायालय के आदेश के बाद, गूगल के शेयरों में 6% की वृद्धि हुई, और कर्मचारियों ने आंतरिक संदेश बोर्डों पर खुशी जाहिर की।
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प्रतिस्पर्धियों पर प्रभाव: डेटा साझाकरण के आदेश से प्रतिस्पर्धियों को गूगल के सर्च इंडेक्स और उपयोगकर्ता डेटा तक पहुंच प्राप्त होगी, जिससे वे अपनी सेवाओं में सुधार कर सकेंगे।
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उपभोक्ताओं पर प्रभाव: विशेष अनुबंधों पर प्रतिबंध से उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिलेंगे, और वे विभिन्न सर्च इंजनों का उपयोग कर सकेंगे।
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🧠 न्यायालय का तर्क
न्यायाधीश मेहता ने अपने निर्णय में कहा कि जनरेटिव एआई, जैसे कि चैटजीपीटी और क्लॉड, सर्च इंजन बाजार में प्रतिस्पर्धा प्रदान कर रहे हैं, जो गूगल के एकाधिकार को चुनौती दे रहे हैं। इसलिए, उन्होंने गूगल को विभाजित करने के बजाय कम कठोर उपायों को अपनाया।
🇮🇳 भारत में स्थिति
भारत में, प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल के खिलाफ ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं में प्रभुत्व के दुरुपयोग के आरोप में जांच शुरू की है। यह मामला गूगल के लिए एक और कानूनी चुनौती प्रस्तुत करता है, जो उसकी वैश्विक संचालन रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है।
🔮 भविष्य की दिशा
गूगल के लिए यह निर्णय एक राहत के रूप में आया है, लेकिन यह कंपनी को अपने प्रतिस्पर्धियों से सतर्क रहने की आवश्यकता को भी दर्शाता है। जनरेटिव एआई और अन्य तकनीकी नवाचारों के उदय से सर्च इंजन बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जिससे गूगल को अपनी सेवाओं में निरंतर सुधार करने की आवश्यकता होगी।
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